Haryana

महेंद्रगढ़: 24 घंटे बाद भी खेतों में पड़े मिले ओले, सुबह तबाही का मंजर देख ग्रामीणों छलके आंसू


100 वर्षीय कलावती बोली कि अब तक ऐसी ओलावृष्टि नहीं देखी
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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महेंद्रगढ़ के सात गांवों में 24 घंटे बाद भी ओले खेतों में पड़े मिले। शुक्रवार शाम चार बजे सात गांवों में हुई भारी ओलावृष्टि का दर्द 24 घंटे बाद भी किसानों को पीड़ा देता रहा। शनिवार सुबह जब किसान अपने खेतों में ओलावृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लेने पहुंचे तो खलिहानों में ओले ज्यों के त्यों पड़े मिले।

गांव बुडीन के किसानों ने बताया कि अभी तक उन्होंने ऐसी भारी ओलावृष्टि नहीं देखी है। 24 घंटे बाद भी ओले खलिहानों में पड़े मिले। किसानों का कहना है कि गेहूं की खड़ी फसलें शत प्रतिशत तबाह हो गई हैं। कटाई पर आया गेहूं खुडों में बिखर चुका है। वहीं सरसों के खलिहानों में ओलों के आपस में चिपकने से 10 से 20 किलोग्राम के ढेर जम गए।

बता दें कि शुक्रवार शाम को करीब चार बजे सात गांव बुडीन, बलायचा, निंबेड़ा, भांखरी की ढाणी, खातोदड़ा और आसपास के गांव में 20 मिनट तक भारी ओलावृष्टि हुई थी। खेतों से लेकर मकानों की छतों तक ढेर लग गए थे।

100 साल की उम्र में नहीं देखी ऐसी ओलावृष्टि

गांव बुडीन निवासी 100 वर्षीय कलावती देवी ने ओलावृष्टि से हुई तबाही को बयां करते हुए भावुक हो गई। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व कभी भी ऐसी ओलावृष्टि नहीं देखी। विशेषकर गांव बुडीन में भयंकर ओलावृष्टि से फसलें तबाह हो गई हैं। अब खेतों में कुछ नहीं बचा है। हजारों की संख्या में ओलावृष्टि की चपेट में आकर पक्षियों की भी मौत हो गई है।

शत-प्रतिशत फसलें हो गई हैं तबाह

गांव बुडीन के सरपंच धर्मवीर ने बताया कि गांव की फसलें पूरी तरह से तबाह हो गई हैं। इतनी भयंकर ओलावृष्टि थी कि दूसरे दिन शाम तक भी ओले ज्यों के त्यों खलिहानों में पड़े मिले। प्रशासन की ओर से उपमंडल अधिकारी हर्षित कुमार आईएएस सहित कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे थे। सरकार एवं प्रशासन से मांग है कि आपदा की इस घड़ी में किसानों का आर्थिक सहयोग करने के लिए शीघ्रता से गिरदावरी का काम पूरा कराएं।


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