करनाल में 7 दुकानदारों को नोटिस: तहसीलदार ने दस्तावेज जमा करवाने के दिए निर्देश, केंद्र व राज्य सरकार से जुड़ा है मामला

करनाल34 मिनट पहले
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करनाल में बने कर्ण गेट की फाइल फोटो।
हरियाणा के जिले करनाल में तहसीलदार ने कर्ण मार्केट के 7 दुकानदारों को नोटिस थमा दिए है और मालिकाना हक के दस्तावेज जमा करवाने के निर्देश जारी कर दिए है। अचानक थमाए गए नोटिसों ने दुकानदारों के होश उड़ा दिए है। बताया जा रहा है कि यह मामला केंद्र व राज्य सरकार से जुड़ा हुआ है। ऐसे में इस मामले को लेकर किसी तरह की ढलाई भी देखने को नहीं मिल रही है। ऐसे में उन दुकानदारों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है, जो कई सालों से यहां पर बैठे हुए है। इन दुकानदारों को प्रॉपर्टी की मलकियत के दस्तावेज कार्यालय में जमा करवाना आवश्यक है।
वहीं कर्ण गेट मार्किट के दुकानदारों की माने तो वे यहां पर अपने पुरखों के जमाने से दुकानदारी कर रहे हैं और आज किसी की चौथी पीढ़ी यहीं से गुजर-बसर कर रही है। मौजूदा मलकियत के दस्तावेज उनके पास हैं लेकिन वर्ष 1947 के बाद के समय के दस्तावेजों की कभी जरूरत नहीं पड़ी। कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं जिनकी दुकान समय-समय पर बिक्री होने के साथ मालिक बदलते रहे हैं। ऐसे में उन्हें अपनी दुकान के पूर्व के मालिक की पूरी जानकारी भी नहीं है।

कर्ण गेट पर बनी दुकानों का दृश्य।
क्या लिखा है नोटिस में
आपको बजरिया नोटिस सूचित किया जाता है कि वर्ष-1947 में देश विभाजन के उपरांत मुस्लिम शहरी जायदाद/सम्पतियों को केंद्रीय सरकार द्वारा अधिग्रहित किया गया था, जो विस्थापित व्यक्तियों को डिस्प्लेस्ड पर्सनल (कंपनसेशन एंड रिहेबलिटेशन) एक्ट 1954 एंड द रूल्स मेड देयर अंडर के तहत अंतरण की गई थी। अंतरण की गई जायदाद/सम्पतियों बारे सरकार द्वारा कानूनी रूप से निपटान किया गया है या नहीं, इसकी भली-भांति से सर्वेक्षण करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा निर्देश प्राप्त हुए हैं। अत: संबंधित दुकान की मलकियती दस्तावेज पुनर्वास विभाग द्वारा जारी रजिस्ट्री या नगरपालिका/नगर निगम करनाल व अन्य माध्यम से पंजीकृत है या नहीं, इसके सर्वेक्षण हेतु मलकियत संबंधित दस्तावेज तहसीलदार बिक्री कार्यालय में प्रस्तुत करें।
सम्पत्ति मामलों की पैरवी करने वाले जानकारों की मानें तो दादा-परदादा के नाम से अलॉट संपत्तियों के दस्तावेज मौजूदा मालिक को अपने पास रखने चाहिए जिनकी कभी भी जरूरत पड सकती है और किसी तरह के विवाद की गुंजाइश नहीं रहती। संबंधित सम्पत्तियों के वर्षों पुराने दस्तावेज की फोटोकॉपी के लिए तहसीलदार सेल्स के कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। मौजूदा समय में प्रदेश सरकार की ओर से लघु सचिवालय स्थित मॉडर्न रिकॉर्ड रूम में लगभग एक करोड़ 40 लाख पुराने दस्तावेज स्कैन हैं।
क्या बोले तहसीलदार
जब इस संबंध में तहसीलदार (बिक्री) रमेश चंद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कार्यालय द्वारा भेजे नोटिस को जायदाद/सम्पतियों के मालिक गंभीरता से लें ताकि प्रक्रिया को समय सीमा में पूरा किया जा सके। वर्ष-1947 में देश विभाजन के उपरांत मुस्लिम शहरी सम्पत्तियों को केंद्रीय सरकार की ओर से अधिग्रहण कर विस्थापित व्यक्तियों को अलॉट किया गया था। अंतरण की गई जायदाद/सम्पतियों बारे सर्वेक्षण करने के लिए प्रशासनिक उच्चाधिकारियों की ओर से निर्देश हैं। इसलिए कुछ सम्पतियां ऐसी हैं जिनका विभाग के रिकार्ड के साथ मिलान जरूरी है। अभी सात दुकानों की मलकियत बारे नोटिस किए गए हैं।
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